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जयपुर के पास आमेर किले का दौरा करने वाले पर्यटकों के एक समूह ने पुरुषों के एक समूह को मालती नामक हाथी ("सवारी नंबर 44") पर हमला करते हुए देखा और पूरी घटना को रिकार्ड किया, उस महिला ने PETA इंडिया को इस शोषण की शिकायत की जिसके उपरांत एक लंबी मुहीम चलकर मालती को बचा लिया गया और अब उसका वंतारा हाथी देखभाल केंद्र में पुनर्वास किया जा रहा है। उस महिला ने अपनी शिकायत में बताया था कि अत्यधिक गर्मी में पर्यटकों को पीठ पर सवारी कराने की परेशानी से बचने की कोशिश करने पर मालती के देखभाल कर्ताओं ने उसको पकड़ लिया विरोध करने की सजा के रूप में महावत सहित आठ लोगों ने 10 मिनट तक उसे लाठियों से पीटा।
गौरी नामक एक अन्य हथिनी ("सवारी संख्या 86"), जिसने अक्टूबर 2022 में आमेर में एक पुरुष दुकानदार को गंभीर रूप से घायल कर दिया था, 13 फरवरी 2024 को आमेर किले के मुख्य प्रांगण में एक महिला रूसी पर्यटक पर हमला कर दिया। 16 महीने से, PETA इंडिया राजस्थान के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग से अपील कर रहा है कि गौरी को सवारी के लिए इस्तेमाल करना बंद किया जाए और उसे किसी ऐसे अभयारण्य में भेजा जाए, जहां वह जीवन भर गुलामी के मानसिक आघात से उबर सके।
सवारी के लिए उपयोग किए जाने वाले हाथियों को दर्द और भय के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है और जब उनका उपयोग नहीं हो रहा होता तो उन्हें जंजीरों से बांध दिया जाता है, इसलिए इस तरह के बुरे व्यवहार की हताशा इन संवेदनशील पशुओं को मानसिक रूप से परेशान या हताश कर सकती है या उन्हें हमलावर होने के लिए उकसा सकती है। जब हाथी इंसानों पर हमला करते हैं, तो उन्हें आम तौर पर पिटाई और अन्य सज़ाएं दी जाती हैं, जिससे पशु और अधिक निराश और परेशान हो जाते हैं।
सवारी के लिए उपयोग किए जाने वाले हाथियों के लिए कैद एक बुरे सपने जैसी होती है जो कभी खत्म नहीं होती। महावत नियमित रूप से एक छोर पर कील लगे लकड़ी के डंडों, जंजीरों और अंकुशों (राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन) का उपयोग करके उन्हें नियंत्रित करते हैं और यहां तक कि उनके संवेदनशील कानों को भी छेद देते हैं और उन्हें खींचने के लिए उनके दाँतों में छेद कर देते हैं। प्रकृति में, हाथी भोजन की तलाश में काफी दूर तक चल सकते हैं, लेकिन जयपुर के पास बंदी हाथियों को उपयोग में न होने पर बांध दिया जाता है या लगातार जंजीरों से जकड़ दिया जाता है और कंक्रीट के फर्श पर खड़े होने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे पैरों में दर्दनाक समस्याएं होती हैं। यहां तक कि जिन हाथियों में तपेदिक की पुष्टि हुई है या जो दृष्टिबाधित हैं या घायल हैं, उन्हें भी तेज धूप में लोगों को सवारी कराने के लिए मजबूर किया जाता है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ‘हाथी’ परियोजना प्रभाग द्वारा गठित एक समिति ने सिफारिश की है कि आमेर किले में हाथी की सवारी को चरणबद्ध तरीके से बंद कर दिया जाए। हाथियों को उनके परिवारों से अलग करना, उन्हें पीट-पीटकर कैद करना और उन्हें पर्यटकों को सवारी देने के लिए मजबूर करना क्रूरता है।
PETA इंडिया - अग्रणी औद्योगिक उत्पाद डिजाइन कंपनी डेसमानिया डिजाइन के सहयोग से - ने एक आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहन का डिजाइन किया है जो एक शाही रथ जैसा दिखता है। इस डिजाईन को राजस्थान के मुख्य सचिव को प्रस्तुत किया गया है और राजस्थान के मुख्यमंत्री से पर्यटक सवारी के लिए हाथियों का उपयोग बंद करके उनकी मदद करने की अपील की है। आमेर किले के पहाड़ी इलाके में पर्यटकों को सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए पर्यावरण और पशु-अनुकूल वाहन एक उपयुक्त विकल्प होंगे।
आप नीचे दी गई अपील पर हस्ताक्षर करके हाथियों की मदद कर सकते हैं।
संकलित हस्ताक्षर राजस्थान के मुख्यमंत्री को भेजे जायेंगे।