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सितंबर 2015 में, PETA अमेरिका के जांचकर्ता दल ने दक्षिण अफ्रीका में दुनिया के सबसे बड़े शुतुरमुर्ग कत्लखानों के अंदर का वो सच रिकॉर्ड किया जो पहले कभी नहीं देखा गया, इनमे वो कंपनिया भी शामिल थी जो अर्मीस ब्रिकिंस बैग कंपनी को शुतुरमुर्ग की खाल सप्लाई करती थी। जांचकर्ताओं ने देखा की डरे सहमे शुतुरमुर्गों को जबरन बेहोश करने वाले बाक्स में फेंका जा रहा है जिसके कारण बहुत से शुतुरमुर्ग फिसल कर गिर रहे थे और फिर उनके गले काट दिये गये। लाइन में लगे बाकी शुतुरमुर्ग असहाय रूप से अपनी आंखो के सामने अपने झुंड के साथियों को कटते हुए देख रहे थे।
परिवहन के दौरान श्रमिकों शुतुरमुर्गों के मुंह पर थप्पड़ घूसे मरते हुए कैमरे में कैद किए गए। कत्लखाने के बाहर जब एक शुतुरमुर्ग ठोकर खाकर अपने बेहोश पड़े साथियों के ऊपर गिर गया तो प्लांट के डायरेक्टर ने मज़ाकिया टिप्पणी करते हुए कहा - "मैं अभी पशु कल्याण अधिकारी को बुलाता हूँ"।
शुतुरमुर्ग के पूरी तरह से सचेत अवस्था में होते हुए उसके मुलायम फर वाले पंखों को नोच लिया गया। यह पंखों पेरिस में मौलिन रूज और ब्राजील के रियो कार्निवल जैसे त्यौहारों में वेशभूषा, सफाई डस्टर एवं गले का स्कार्फ बनाने में उपयोग किए जाते हैं। शुतुरमुर्ग मांस पूरे दक्षिण अफ्रीका में बेचा जाता है और मुख्य रूप से यूरोप को निर्यात किया जाता है।
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दक्षिण अफ्रीका : शुतुरमुर्ग को मारने के मामले में दुनिया की राजधानी
दक्षिण अफ्रीका का पश्चिमी क्षेत्र, दुनिया का शुतुरमुर्ग कत्ल करने का सबसे बड़ा केंद्र है जो अर्मीस, प्रादा व अन्य फ़ैशन ब्रांड्स को शुतुरमुर्गों की लक्ज़री खाल की सप्लाई करता है।
PETA अमेरिका के जांच दल ने देखा कि छोटे शुतुरमुर्गों को को कत्लखानों में ले जाने के लिए, बिना छत वाले वाहन में ठूसकर भरा गया। एक बार जब वे कत्लखाने में पहुंच जाते हैं, तो श्रमिक प्रत्येक शुतुरमुर्ग को जबरन बिजली के झटके से बेहोश करके उनका गला काट देते हैं। कुछ ही पलों बाद, उनके गरम पड़े शरीर से पंखो को नोच लिया जाता है और उनके पैरों व अन्य अंगो को उसके शरीर से नोच कर अलग कर दिया जाता है।
समझदार शुतुरमुर्ग : अगर उन्हे कपड़े या सजावट के समान के की तरह न देखें तो
हालांकि एक शुतुरमुर्ग 40 वर्ष तक जिंदा रह सकता है लेकिन यह क्रतिम रूप से पैदा किए गए शुतुरमुर्गों का एक साल में ही कत्ल कर दिया जाता है। युवा शुतुरमुर्ग लगभग तीन साल तक अपने माता पिता के साथ ही रहते हैं किन्तु कारखानो में तैयार यह शुतुरमुर्ग कभी अपने माता पिता से मिल तक नही पाते।
जंगल में रहने वाले शुतुरमुर्ग अपने माता पिता के कर्तव्यों को आपस में बाँट लेते हैं, दिन में माँ अपने अंडो की देखभाल करती है जबकि काले पंखो वाला पिता अपनी ज़िम्मेदारी रात में निभाता है। एक फार्म के मैनेजर ने हमें बताया की गर्मी के दिनो में ये शुतुरमुर्ग एक दूसरे पर हवा करके गर्मी दूर भागते है “मेरे दिल में इनके लिए बहुत सम्मान है”।
अर्मीस एवं प्रादा ब्रांड से अनुरोध करें की वो पक्षियों की खाल का इस्तेमाल करना बंद करें।
अपने कलेक्शन में से शुतुरमुर्गों व अन्य जानवरों की खाल को हटाने तथा हमेशा वीगन फ़ैशन चुनने के लिए अर्मीस व प्रादा ब्रांड पर दबाव बनाने के लिए हमारी मदद करें।
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