केरल के बंदी हाथियों को आपकी मदद की जरूरत है

सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 4 मई 2016 को केरल सरकार द्वारा जारी की गयी उस अधिसूचना पर रोक लगा दी जिसमे उन्होने दिनांक 26 फरवरी 2016 को उन 134 बंदी हाथियों के मालिकाना प्रमाण पत्रों कों मान्यता देने की बात कही थी, यह वास्तव में केरल सरकार का वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की मज़ाक उड़ाने वाला वाला आदेश था जिस पर यदि सर्वोच्च न्यायालय रोक न लगाता तो यह आदेश लोगों को प्रेरित करने के लिए काफी था की वो जंगलों में से हाथियों को चुराकर कर लाये और फिर उसके मालिक होने का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लें। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह भी आदेश जारी किया कि कोई भी नया हाथी मालिक प्रमाण पत्र न बनाया जाये व राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचना के उपरांत जिन जिन लोगों को मालिकाना प्रमाण पत्र दिये गए हैं उन्हे तत्काल रूप से वापिस लेकर निरस्त किया जाए। वन्यजीवों के अवैध परिवहन एवं व्यापार पर रोक लगाने के लिए न्यायालय ने हाथी मालिक एसोसिएशन को चेतावनी जारी कर कहा कि उनके हाथियों को किसी भी प्रदर्शनों में भाग लेने की अनुमति नहीं है व राज्य की सीमा से बाहर भेजे जाने कि भी अनुमति नहीं है।

इस आदेश के बावजूद अभी भी केरल में 134 हाथियों को  गैर कानूनी तरीकों से बंदी बनाकर रखा हुआ है। कृपया उन्हें पुनर्वास केंद्र भेजने में मदद करें।

आप मदद कर सकते हैं 
चलिये केरल सरकार तक ये संदेश पहुँचते हैं कि हम केरल में बंदी बनाकर रखे गए हाथियों कि रिहाई चाहते हैं व उन्हे किसी पुनर्वास केंद्र भेजे जाने की मांग कर रहे हैं।

 

Dr
VP
Joy
Government of Kerala
The Honourable
Pinarayi
Vijayan
Government of Kerala

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