मुझे PETA इंडिया से पता पता चला है कि कर्नाटक में कंबला दौड़ों पर की गयी जांच में खुलासा हुआ है कि भैंसों को डंडों से पीटा गया, उनकी पूंछों से घसीटा गया व उन पर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाया गया। कंबला दौड़ों के दौरान भैंसों पर जबरन गंभीर मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न किया जाता है इस प्रकार की दौड़ों का कोई औचित्य नहीं है। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि यह दौड़ भैंसों के शरीर के लिए उपयुक्त नहीं है और कंबला दौड़ें उन क्रूर प्रथाओं के समान है जिसमे पशुओं को डर, दर्द, पीड़ा, दुख व यातना का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की क्रूरता को परंपरा और संस्कृति से नहीं जोड़ा जा सकता। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा "प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स (कर्नाटक द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2017 के तहत कंबला दौड़ों को पुनः आयोजित करने की अनुमति दे दी है। कृपया इन भैंसो पर हो रहे अत्याचार को रोकने हेतु आवाज उठाएँ।