बिना कोई दर्द निवारक दिये, बकरों की नसबंदी की गयी व उन्हें दर्दनाक तरीकों से मौत के घाट उतार दिया गया। कृपया आवाज़ उठाएँ

 

बकरियाँ बहुत ही चंचल, समझदार एवं सामाजिक जानवर होती हैं जो खतरा भाँपकर बड़ी बहदुरी के साथ अपने झुंड के बाकी सदस्यों की रक्षा करती हैं। किन्तु फिर भी दूध एवं मांस उद्योग में इन प्रीय जानवरों के साथ बर्बरता हो रही है।

PETA इंडिया राजस्थान के अलवर ज़िले में बकरियों के साथ हो रही बर्बरता की कुछ वीडियो फुटेज सांझा कर रहा है जो बेहद क्रूर व दर्दनाक है। बकरियों के साथ ऐसा व्यवहार लगभग पूरे भारत में होता है। 

जैसा की इस वीडियो में दिखाई देता है की गंभीर एवं दर्दनाक स्थितियों जैसे कीड़े पड़े घाव, संक्रमित थन व टूटी टांग के बावजूद इन बकरियों को पशु चिकित्सा से वंचित रखा गया है। कई बकरियों को छोटी तंग जगह पर जंजीरों एवं रस्सियों से बांध कर रखा गया है जहां वह ठीक से चल फिर भी नहीं पा रही है। बकरियों के छोटे बच्चे अपनी माताओं का दूध न पी सकें व यह दूध इन्सानों को बेचा जा सके इसके लिए बच्चों के मुंह में लकड़ी ठूस दी गयी है। बकरों को बिना कोई दर्द निवारक दिये नीचे गिराकर दर्दनाक तरीकों से उनकी नसबंदी कर दी गयी।

जिंदगी की तरह इन बकरियों की मौत भी बेहद दर्दनाक होती है। कुछ बकरियों को गाड़ियों में भरकर तप्ति धूप में लंबी यात्रा करके मरने के लिए कत्लखानों में जाना पड़ता है। कत्लखानों या सड़क किनारे खुली माँस की दुकानों में वो डरी सहमी, खून से लथपथ पड़े फर्श पर अपनी आँखों के सामने अपने साथियों को एक एक कर कटते हुए देखती रहती हैं। कानून होने के बावजूद कत्लखानों में इन बकरियों को कटने से पहले बेहोश तक नहीं किया जाता बल्कि अधमरी हालत में कटे हुए गले के साथ छोड़ दिया जाता है जहां वो बचकर भाग निकलने के छटपटाती रहती हैं।

“पशु क्रूरता निवारण (कत्लखाना) नियम, 2001 तथा “खाद्य एवं सुरक्षा मानक (लाइसेंसिंग व खाद्य व्यापार पंजीकरण) विनिमय, 2011” के तहत यह आवश्यक है की भोजन के लिए इस्तेमाल होने वाले पशुओं की हत्या केवल उन पंजीकृत कत्लखानों में हो होनी चाहिए जहां पशुओं को बेहोश करके उनका माँस तैयार करने के उपयुक्त साधन मौजूद हों। माननीय सुप्रीम कोर्ट का भी यह आदेश है की पशुओं की हत्या केवल पंजीकृत कत्लखानों में होनी चाहिए तथा नगर पालिका अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए की उनके क्षेत्र में इस नियम का सही से पालन हो रहा है।

इन क़ानूनों को सख्ती से लागू करवाने में कृपया PETA इंडिया का साथ दें ताकि अवैध कत्लखानों को बंद करवाया जा सके, बकरों की मानवीय तरीकों से नसबंदी हो सके, कत्लखानों में व पशु परिवहन के दौरान पशुओं पर होने वाली निरंतर क्रूरता को SPCA द्वारा समय समय पर जांचा जा सके।

यदि आपने अभी तक नहीं किया है तो कृपया इन प्यारे पशुओं को दर्दनाक मौत एवं क्रूरता से बचाने के लिए आप वीगन जीवन शैली अपनाए। राजस्थान के अलवर में पशुओं पर होने वाली क्रूरता कोई अलग या विशेष नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत में माँस एवं दूध उद्योग में सभी तरह के पशुओं के साथ इसी तरह का व्यवहार होता है जहां उनको प्राणीयों की तरह नहीं बल्कि समान की तरह समझा जाता है भले ही वो बेहद समझदार या संवेदनशील ही क्यूँ न हों। इस प्रकार की क्रूरता का अंत करने का सबसे उत्तम व असरदार तरीका है की आप वीगन बने।

 

Dr
Praveen
Malik
Animal Husbandry Department

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