जानलेवा बीमारियाँ पैदा करने वाली पशु मंडियों को बंद करवाने में हमारी मदद करें।

वर्तमान में फैली महामारी के संदर्भ में यूएस सेंटर फॉर डीसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन कहता है- "इसका पहला संक्रमण चीन के पशु बाज़ार से संबन्धित है"। ऐसा माना जाता है की कोरोना वायरस मांस के लिए इस्तेमाल होने वाले वन्यजीवों से पनपकर मनुष्यों तक पहुंचा। SARS नामक महामारी का संक्रमण भी इसी तरह के पशु बाज़ार से उत्पन्न हुआ था। (पशु बाज़ार का तात्पर्य पशुओं की उस मंडी से है जहां मांस के लिए जीवित एवं मृत पशुओं की खरीद फ़रोक्त होती है)

Creutzfeldt-Jakob रोग, एवियन फ्लू, स्वाईन फ्लू, एबोला व इनके जैसे अन्य रोग पशु एवं पशु जनित उत्पादों से आए हैं। लेकिन इन सभी का संबंध पशु बाज़ारों से नहीं है। Creutzfeldt-Jakob रोग गाय से संबन्धित है जो समभवता किसी ऐसे व्यक्ति को हो सकता है जिसने इस रोग से पीड़ित गाय का मांस खाया हो। लेकिन पशु बाज़ारों जहां अलग अलग नस्ल के अनगिनत तनावग्रस्त, घायल एवं बीमार पशुओं को एक साथ पिंजरों में कैद करके जनता के संपर्क हेतु खुले में रखा जाता, और यही एक कारण होता है की मनुष्य उनकी बीमारियों एवं संक्रमण के संपर्क में आता है। इस वीडियो में ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी- डाउनटाउन के एसोसिएट प्रोफेसर 'पीटर ली' पशु बाज़ारों के संबंध में कहते हैं- "पशुओं से भरे पिंजरों को एक के उपर एक रखा जाता है। इसलिए सबसे नीचे वाले पिंजरे में बंद पशु, उपर वाले पिंजरों से गिरने वाले मल, मूत्र, खून व गंदगी से सने रहते हैं"। इस तरह की स्थितियों में एक पशु का संक्रमण या बीमारी बाकी सभी पशुओं में फैलती है व बाद में इनके संपर्क में आने वाले समस्त मनुष्य भी उसी संक्रमण का शिकार होते हैं।

यह माना जाता है मनुष्य में कोरोना वायरस की शुरुवात चीन के वुहान में स्थित 'हयूनान सीफूड होलसेल मार्केट' से हुई थी। हालांकि कोरोना महामारी के मद्देनजर चीन वन्यजीवों के मांस पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसके चलते इस बाज़ार को को बंद कर दिया गया था लेकिन अब ऐसा सुनने में आ रहा है की इस पशु बाज़ार को फिर से खोला जा रहा है। यह समझना जरूरी है की बीमारियाँ केवल इन जानवरों को ही संक्रमित नहीं करती बल्कि इनके संपर्क में आने व इनके मांस का सेवन करने वाले भी पूरी तरह से प्रभावित होते हैं। गंभीर वैश्विक बीमारी H5N1 संक्रमण का प्रसार सबसे पहले 1997 में हाँगकाँग के पशु बाज़ार एवं मुर्गीपालन से शुरू हुआ व इस संक्रमण की चपेट में आने वाले लोगों में से 60 प्रतिशत कि मौत हो गयी। विश्वभर जैसे एशिया, अफ्रीका, यूरोप व यूएस में भी इस तरह अनेक माँस मंडियां हैं जहां जीवित पशु या पशुओं का माँस बेचा जाता है। इसमें भारत भी शामिल है जिसमे हजारों पशु मंडियाँ, माँस बिक्री की दुकाने एवं गैर कानूनी बूचड़खाने हैं।

जिस तरह हम किसी महामारी के चपेट में आकार या बीमारी से संक्रमित होकर नहीं मरना चाहते ठीक उसी तरह से यह पशु भी हमारे भोजन के लिए नहीं मरना चाहते। उदाहरण के लिए एक मुर्गी, शांत वातावरण में रहना चाहती है ताकि अंडों से बाहर आने से पहले वह अपने अजन्मे बच्चों को बाहरी आवाजों से परिचित कार्वा सके ठीक वैसे ही जैसे इंसानी गर्भ में पल रहे के बच्चे से कोई माँ बार बार बात करती रहती है। एक मछली भी अपनी दुनिया में अपने परिवार व बच्चों के साथ शांत जल में रहना एवं तैरना चाहती है।

यह फर्क नहीं पड़ता के इन पशु बाज़ारों में किस नस्ल के जानवरों की बिक्री हो रही है क्योंकि यह मंडिया इन्सानों को तो खतरे में डाल ही रही है साथ ही साथ अनगिनत पशुओं की बेरहम हत्याओं के लिए भी जिम्मेदार हैं।

विश्व स्वास्थ संगठन से यह अनुरोध करने में हमारी मदद करें की वो विश्व भर की पशु मंडियों पर रोक लगवाएँ।

Dr.
Tedros
Adhanom Ghebre
World Health Organisation

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